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नारायणअस्त्र कंट्रोल:- Heliothis Pod Borer
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AKASH PATEL
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We know that food grown on healthy land with healthy farming is healthy food. We act as stewards of this land, caring for its health to support yours.
Our family grew up on the land of akashbhumisudharnakendra. We are proud to grow the food that feeds your families. Thank you for supporting this tradition.
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मल्टीप्लायर में ऐसा क्या है |
जब तक किसान भाई रासायनिक खाद नहीं डालता था, तब खेती में उत्पादन कम मिलने की समस्या नहीं थी, किटक तथा रोगों का प्रकोप नहीं था, प्रकृति ने विविध जीव योनियों से लेकर वनस्पती तक के भोजन की व्यवस्था बनाई है, इसीलिए जंगल में वनस्पती को रासायनिक खाद डालने नहीं जाना पड़ता, प्रकृति की सभी व्यवस्थाएं आटोमेटिक कार्य करती हैं, जहाँ जंगल कम करने की कोशिश की गई, वहां बारिश कम होती है, प्रकृति को वह सब प्रिय है जो प्रकृति ने दिया है, रसायन जिस प्रकार मनुष्य के लिए हानिकारक हैं, उसी प्रकार प्रकृति को भी अप्रिय हैं, हमने मिट्टी में रसायन डालकर मिट्टी से फसलों को भोजन प्रदान करनेवाली सिस्टिम को अकार्यरत कर दिया, इसलिए जंगल की वनस्पती को बिनामूल्य भोजन मिलता है, परन्तु हमारी फसलों को नहीं मिलता|
मल्टीप्लायर आपकी मिट्टी को प्राकृतिक बनाकर, फिर से प्रकृति द्वारा बिनामूल्य मिलनेवाला भोजन मिला देने का कार्य करता है|
जब आपकी मिट्टी प्राकृतिक होकर प्रकृति से सम्बन्ध बना लेती है, उसी मिनिट से आपकी समस्या का समाधान हो जाता है |
जिस प्रकार बलवान आदमी बार-बार बीमार नहीं पड़ता, उसी प्रकार आपकी फसलें बलवान बनकर किटक तथा रोगों से मुक्त हो जाती हैं |
मल्टीप्लायर एक ऐसा उत्पाद है जो खेती की सभी समस्याओं का हमेशा के लिए अंत कर देता है |
मल्टीप्लायर का कोई पर्याय नहीं है,मल्टीप्लायर, मल्टीप्लायर है |
मल्टीप्लायर एकमेव ऐसा उत्पादन है, जिसे बेचना नहीं पड़ता स्वयं बिकता है,और पैसा वहीँ कमाया जा सकता है, जहाँ उत्पादन स्वयं बिके|
कुपोषण को समाप्त करो किटक रोग मुक्त उत्पादन पाओ। 1) लगातार रासायनिक खादों का इस्तेमाल होने के कारण मिट्टी खराब हो जाने से फसलों
को आवश्यक मात्रा में भोजन नहीं मिल पाने से फसलों का कुपोषण हो रहा है, जिस प्रकार कुपोषित इंसान बार-बार बीमार पड़ता है, उसी प्रकार कुपोषित फसलों पर किटक और रोगों का अटेक ज्यादा होता है।
2 ) कृष्णा ऑल क्लियर में जो प्रमुख घटक है उसका नाम है "सिलिका" यह घटक सभी फसलों के लिए अत्यावश्यक है, अगर मिट्टी में सभी घटकों की उपलब्धता हो, परन्तु "सिलिका" घटक की कमी हो, तब उपलब्ध घटक भी फसल को मिलने में कठिनाई
आती है। ( 3 ) इसलिए कृष्णा ऑल क्लियर फसल को कुपोषण से बचाने के लिए बेहद जरूरी है।
ताकतवर फसल किटक तथा रोगों से बचाव करने में समर्थ होती है।
1) ऐसी मान्यता है की, पृथ्वी पर सजीवों की 84 लाख योनी हैं, उनमें से एक इंसान है, उसी प्रकार कीटकों की भी अनेक प्रजाती हैं, परन्तु इन किटकों का भोजन वनस्पति होती है।
2 ) किटक कमजोर फसलों का नुकसान करते हैं, ताकतवर फसलें किटक तथा रोगों को प्रतिकार करती है। (3 ) कृष्णा आल क्लियर फसलों को ताकतवर बनाता है, उनकी प्रतिकारशक्ति बढाता है, इसलिए ऐसी फसलें किटक तथा रोगों से स्वयं का बचाव कर लेती हैं।
कृष्णा ऑल क्लियर बाजार में उपलब्ध सभी उत्पादनों से ज्यादा ताकतवर है।
1) कृष्णा ऑल क्लियर तरल स्वरूप में है, इसमें मुख्य घटक "सिलिका" का प्रतिशत 70 है, बाजार में इस जैसे अनेक उत्पादन मिलते हैं, उनमें मुख्य घटक “सिलिका" डेढ
प्रतिशत से 15 प्रतिशत तक है, इससे अधिक पॉवरका उत्पादन देखने को नहीं मिला.
2 ) बाजार में मिलनेवाले जिस उत्पादन में "सिलिका" का प्रमाण ज्यादा है, वह 1 लीटर
पानी में 2 मिली मिलाना पड़ता है। 3 ) कृष्णा ऑल क्लियर की कीमत बाजार में मिलनेवाले सबसे ज्यादा "सिलिका' घटकवाले उत्पादन की कीमत के बराबर है, उसके बावजूद किसी भी फसल के छिडकाव में पहली बार 15 लीटर पानी में 5 मिली उसके बाद जब भी छिड़काव किया जाय 15 लीटर पानी में 2 मिली मिलाना पड़ता है।
4 ) मतलब जहाँ दूसरे उत्पादन 15 लीटर पानी में 30 मिली मिलाना पड़ता हैं, वहां कृष्णा ऑल क्लियर सिर्फ 2 मिली मिलाना पड़ता है, कृष्णा ऑल क्लियर का इस्तेमाल मतलब पैसों की बचत ही बचत.
रस चूसनेवाले किटकों से फसल का बचाव होता है।
1) किसी भी फसल का सबसे ज्यादा नुकसान रस चूसनेवाले किटक करते हैं, परिणाम यह होता है की फसल की ग्रोथ पूरी तरह से रुक जाती है, पत्ते खराब हो जाने के कारण फसल सूर्यप्रकाश की मदत से भोजन बनाना बंद कर देती है, भोजन की कमी से छोटे छोटे फल तथा फूल गिरने लगते हैं।
2 ) कृष्णा ऑल क्लियर पत्तों के एपिडर्मन सेल में कठिन लेयर बनाता है, जिसके कारण किटकों को पत्तों से रस चूसने में व्यवधान आता है। 3 ) इसके बाद भी अगर रस चूसनेवाले किटक दिखें या नुकसानी नजर आये तब कंपनी का ऑर्गनिक उत्पाद "नारायणअस्त्र" 15 लीटर पानी में 10 मिली मिलाकर छिडकाव
करें सभी समस्याओं से तुरंत मुक्ति मिलेगी.
इल्ली के नुकसान से कुछ प्रमाण में बचाव होता है।
1 ) इल्ली के अंडे से जब इल्ली बाहर निकलती है, पत्तों का बहुत ज्यादा नुकसान करती है। 2 ) कृष्णा ऑल क्लियर के इस्तेमाल से पत्तों के एपिडर्मन सेल में कठिन लेयर तैयार होता है, छोटी इल्ली जब पत्तों को खाना प्रारम्भ करती है, कठिन लेयर के कारण उसके दांत
घस जाते हैं, इसलिए भूखी रहकर मर जाती है। 3 ) इसके बाद भी अगर इल्ली दिखे या नुकसानी नजर आये तब कंपनी का ऑर्गनिक उत्पाद "नारायणअस्त्र" 15 लीटर पानी में 10 मिली मिलाकर छिड़काव करें सभी समस्याओं से तुरंत मुक्ति मिलेगी।
कृष्णा ऑल क्लियर के विषय में महत्वपूर्ण जानकारी।
1 ) जिन फसलों पर किटक तथा रोगों का अटेक ज्यादा होता है, उन फसलों पर रासायनिक
दवाओं का छिड़काव नियमित किया जाता है, रासायनिक छिडकाव से फसल कमजोर
हो जाती है, इसलिए दवाओं का रिझल्ट तो मिलता नहीं, फसल और कमजोर होती जाती
है।
2 ) जब कोई आदमी अनेक बीमारियों से ग्रस्त होता है, डॉक्टर उसे दवाइयों के साथ-साथ टॉनिक भी देते हैं, जिसके कारण वह जल्दी अच्छा हो जाता है।
3 ) उसी प्रकार किटक तथा रोगो के अटेकवाली फसलों पर रासायनिक दवाओं का छिडकाव करते समय, कृष्णा ऑल क्लियर मिला दिया जाय, तब रिझल्ट ज्यादा बेहतर
तथा जल्दी मिलता है।
4 ) जिस फसल पर ऑल क्लियर का छिड़काव होता है, उस फसल पर किटक रोग कम से कम आते हैं, फसल पर अगर रस चूसनेवाले किटक दिखें, तब 15 लीटर के पंप में 5 मिली कृष्णा" नारायणअस्त्र" मिलाकर छिड़काव करें, अगर इल्ली की समस्या हो तभी रासायनिक दवाई मिलाना है।
पत्तों पर आनेवाले फफूंद रोगों के लिए सर्वोत्तम है।
1 ) कृष्णा ऑल क्लियर किसी भी फसल के पत्तों पर आनेवाले सभी प्रकार के फफूंद रोगों के लिए ब्रम्हास्त्र है, जिन फसलों पर कृष्णा ऑल क्लियर का नियमित छिड़काव होता है, उन फसलों पर फफूंद रोग नहीं आता।
2 ) जैसे अंगूर की फसल में डाउनी मिल्ड्यू, पावडरी मिल्ड्यू तथा बेल वर्गीय फसलों पर आनेवाले फफूंद रोग, जहाँ कृष्णा ऑल क्लियर का नियमित छिड़काव होता है, वहां नहीं आते।
3 ) जब सब तरफ फफूंद रोगों का अटेक चल रहा होता है, तब भी चिंता नही करना पड़ती, परिस्थितीयाँ बहोत ज्यादा खराब हुई तब भी रासायनिक दवाई के एक छिडकाव से कंट्रोल मिल जाता है।
गन्ना (शेरडी) तथा चावल ( भात डांगर) की फसल में जमीन से देना फायदे का है।
1 ) उपरोक्त दोनों फसलों को "सिलिका" घटक ज्यादा मात्रा में लगता है, "सिलिका" घटक की कमी के कारण उत्पादन में भारी कमी आती है।
(2 ) गन्ना तथा धान की फसल में प्रति एकड 250 मिली कृष्णा ऑल क्लियर जमीन से देना
है। 3 ) पहले कृष्णा ऑल क्लियर जमीन से देने की मात्रा ज्यादा थी, परन्तु रिसर्च में उपरोक्त प्रमाण में अच्छे रिझल्ट मिले हैं, इसलिए प्रति एकड मात्रा कम की है।
प्रकाश संश्लेषण क्रिया में तेजी आती है।
1 ) किसी भी वनस्पति को 96 प्रतिशत भोजन प्रकाश संश्लेषण से प्राप्त होता है, प्रकाश संश्लेषण क्रिया जितनी तेजी से होगी उतना उत्पादन बढकर मिलेगा। 2 ) कृष्णा ऑल क्लियर का छिडकाव होने से फसल को "सिलिका" घटक की उपलब्धता बढ जाती है, इसलिए प्रकाश संश्लेषण क्रिया तेज हो जाती है, परिणामस्वरूप फसल
को प्रकृति से बिनामूल्य मिलनेवाला भोजन ज्यादा मात्रा में मिलने लगता है।
कृष्णा ऑल क्लियर इस्तेमाल करने का तरीका।
1) किसी भी फसल के लिए पहली बार होनेवाले छिडकाव में 15 लीटर पानी में 5 मिली
कृष्णा ऑल क्लियर मिलाना है।
2 ) उसी फसल पर बाद में बार-बार होनेवाले छिड़काव में 15 लीटर पानी में सिर्फ 2 मिली
कृष्णा ऑल क्लियर मिलाना है।
3 ) जिस फसल में जमीन से देना है, उसमें पानी के साथ
किसी भी उत्पादन में मिलाया जा सकता है।
देना है।
1 ) कृष्णा ऑल क्लियर किसी भी रासायनिक दवाई तथा खाद में मिलाया जा सकता है।
2 ) जिस उत्पादन के साथ दूसरा कोई भी उत्पादन नहीं मिलाया जा सकता, उसे छोडकर दूसरे सभी उत्पादनों में मिलाया जा सकता है।
छिड़काव का सच्चा साथी.....
फसल पर किया जानेवाला छिड़काव पत्तों से बहकर जमीन पर आ जाता है, फिर भी किसान भाई छिड़काव करता है, ऐसा क्यों होता है? जब किसी समस्या का कोई इलाज नहीं मिलता, तब जो है, जैसा है, स्वीकार करने के अलावा कोई दूसरा पर्याय हमारे पास नहीं होता, परन्तु वास्तव में हर समस्या का इलाज है, कहते है कोशिश करनेवालों की कभी हार नहीं होती, आपकी कंपनी ने प्रत्येक छिड़काव में आपका गाढ़ी कमाई का पैसा पानी की तरह पत्तों से में बहकर मिट्टी में मिल जाता था, उसे बचाने के लिए "कृष्णा स्प्रे प्लस" का अनुसंधान किया, इस उत्पाद की मदत से आप छिड़काव में नष्ट होनेवाले पैसों की बचत के साथ किड और रोगों पर आसानी से नियंत्रण पा सकेंगे।
कृष्णा स्प्रे प्लस इस्तेमाल करना क्यों जरूरी है।
1)
कृष्णा स्प्रे प्लस आधुनिक खेती, फलबाग खेती, विशेषकर ऐसी खेती जिसमें किटक तथा रोगों का अटेक ज्यादा होता है, बार-बार रासायनिक दवाओं का छिड़काव करना पड़ता है या पानी में घुलनशील रासायनिक खादों का छिड़काव किया जाता है, ऐसे सभी छिड़काव में कृष्णा स्प्रे प्लस • मिलाना बेहद जरूरी है।
2
तृतीय
2) किसी भी फसल में 80 प्रतिशत से ज्यादा किटक पत्तों के पीछे छुपकर फसल की नुकसानी करते हैं, रासायनिक दवाओं के सभी छिड़काव पत्तों के ऊपर के भाग पर किये जाते हैं, इसलिए सिर्फ कुछ किटकों पर ही रासायनिक दवा का सीधा असर होता है।
3) किसान भाई महँगी से महँगी दवाओं का छिड़काव करता है, परन्तु किटक पत्तों के पीछे छिपे होने के कारण उन पर दवाई का असर नहीं होता, इसलिए बार-बार दवाओं का छिड़काव करना पड़ता है।
4) रासायनिक दवाओं का बार-बार छिडकाव करना पड़ा, तब महँगी से • महँगी दवा का छिडकाव भी बेअसर सिद्ध होता है, ज्यादा पॉवर की दवाएं भी काम नहीं करती.
5)
बार-बार रासायनिक दवाओं का छिड़काव तथा ज्यादा मेन पॉवर के इस्तेमाल से पैसों की बर्बादी होती है, जिसके कारण खेती का लागत मूल्य बढ़ जाता है, प्रति एकड़ उत्पादन में कमी आती है, ऐसी परिस्थिती में उत्पादन को बाजार में भाव नहीं मिला तो खेती घाटे का सौदा बन जाती है।
कृष्णा स्प्रे प्लस की खासियत ।
1)
कृष्णा स्प्रे प्लस की निर्मिति "सिलिका" घटक से की गई है, दुनिया में सिर्फ 3 कंपनी "सिलिका" बनाती हैं, उनमें से एक भी भारत में नहीं है, "सिलिका" घटक से पूरी दुनिया में अलग-अलग प्रकार के उपयोग के • 800 से ज्यादा प्रकार के उत्पादन बनाये जाते हैं, आपकी कंपनी ने खेत में होनेवाले छिड़काव को कार्यक्षम बनाने के लिए "सिलिका" घटक से कृष्णा स्प्रे प्लस की निर्मिति की है।
2) आपकी कंपनी ने कृष्णा स्प्रे प्लस को बहोत ज्यादा कॉन्सेंट्रेट बनाया है, इसलिए बहोत कम मात्रा में लगने के कारण पैसों की बचत तथा जोरदार रिझल्ट मिलता है, इसलिए बार-बार छिड़काव से मुक्ति मिलती है।
3) 200 लीटर का घोल बनाने के लिए सिर्फ 10 मिली कृष्णा स्प्रे प्लस मिलाना पड़ता है, 100 मिली कृष्णा स्प्रे प्लस की एक बॉटल से 2000 लिटर छिड़काव का घोल बनाया जा सकता है, इतना कम लगनेवाला दूसरा कोई उत्पादन देखने में नहीं है, कृष्णा स्प्रे प्लस बहोत ज्यादा कॉन्सेंट्रेट होने के कारण कम मात्रा में लगता है, मतलब पैसों की बचत ही बचत।
4) कृष्णा स्प्रे प्लस मिलाया हुआ घोल फसलों पर छिड़काव किया जात है, वह घोल पत्तों के अंदर समा जाता है, जैसे ही पत्तों के पीछे छुपे हुवे किटक पत्तों से रस चूसने का प्रयत्न करते हैं, छिड़काव में मिलाया गया रासायनिक घटक उनके पेट में जाने से तुरंत मर जाते हैं।
5) मतलब छिड़काव होते ही किटक मरने लगते हैं, इसलिए बार-बार छिड़काव नहीं करना पड़ता।
6) जिस प्रकार नमक की कीमत नाममात्र होती है, परन्तु भोजन में नमक ना डाला हो तब भोजन किसी काम का नहीं, चाहे उसे स्वादिष्ट बनाने के लिए कितना कुछ डाला हो, बिलकुल उसी प्रकार छिड़काव के घोल में कृष्णा स्प्रे प्लस ना मिलाया हो, तब छिड़काव व्यर्थ सिद्ध होता है।
कृष्णा स्प्रे प्लस इस्तेमाल का तरीका।
1) कृष्णा स्प्रे प्लस बहोत ही कम मात्रा में लगता है, इसलिए इसे इंजेक्शन से निकालना ज्यादा उपयुक्त है, डॉक्टर जिस इंजेक्शन का इस्तेमाल करते हैं वह 10 रूपये में मिलता है, इंजेक्शन की मदत से 1 मिली से 10 मिली तक आसानी से निकाला जा सकता है। ज्यादातर पंप 16 लीटर क्षमता के होते हैं, उसमें 15 लीटर तक छिड़काव
2)
का घोल भरा जाता है, उसमें कृष्णा स्प्रे प्लस सिर्फ 1 मिली मिलाना है।
3) आप कृष्णा स्प्रे प्लस का कॉन्सेंट्रेट घोल बनाकर भी इस्तेमाल कर सकते हैं, उसके लिए कोई मग या ग्लास से 12 बार पानी भरकर किसी छोटे ड्रम या डब्बे में डालें, उसके बाद उसमें 10 मिली कृष्णा स्प्रे प्लस मिलाएं, अब आप इस तैयार कॉन्सेंट्रेट घोल में से 1 माप घोल निकालकर पंप में डालकर छिड़काव कर सकते हैं, इस सिस्टम से 10 मिली स्प्रे प्लस से 12 पंप बनते हैं, और अगर आप सीधे पंप में कृष्णा स्प्रे प्लस डालेंगे तब 10 पंप बनेंगे, मतलब इस सिस्टम से 2 पंप ज्यादा बनते हैं।
4)
कृष्णा स्प्रे प्लस से बनाया गया कॉन्सेंट्रेट घोल 8 दिन तक इस्तेमाल के योग्य होता है, यह घोल कितने दिन तक काम करेगा, यह आपके पानी की क्वालिटी पर निर्भर करता है, अगर पानी की क्वालिटी उत्तम हो जैसे फिल्टर वॉटर के योग्य रहत इस्तेमाल के इस्तेमाल कि चाहिए।
नारायणअस्त्र की अधिक जानकारी।
रासायनिक खादों के इस्तेमाल से मिट्टी खराब हो जाने के कारण, फसलों पर किटक तथा रोगों का अटेक बढ़ गया है, जिस प्रकार विष कन्या में लगातार विष लेने के कारण विष की प्रतिकारशक्ति आ जाती है, उस पर विष का विपरीत परिणाम नहीं होता, ठीक उसी प्रकार रासायनिक दवाओं की प्रतिकारशक्ति कीटकों में आ जाने के कारण, उन पर रासायनिक दवाएं, अप्रभावी सिद्ध हो रही हैं, जब किटक थोडे प्रमाण में हों, तब कंट्रोल मिल जाता है, परन्तु कीटकों का प्रमाण बढ़ जाने पर ज्यादा पॉवर वाली दवाओं का छिडकाव करने के बावजूद रिझल्ट नहीं मिलता.
इस गंभीर समस्या ने खेती करनेवाले किसान भाईयों की मुश्किल बढ़ा दी है, एक तो रासायनिक दवाओं की खरीद में बहोत पैसा खर्च होने के कारण, खेती कभी कभी घाटे का सौदा बन जाती है, दूसरा कारण यह की पैसा खर्च करने के बावजूद रिझल्ट नहीं मिलने से उत्पादन का नुकसान होता है। • खेती की सभी प्रकार की किटक समस्या से मुक्ति दिलानेवाला कृष्णा "नारायणअस्त्र" खेती के क्षेत्र में
एक नए युग की शुरूवात करेगा, फसलों पर आनेवाली किड अब फसल का नुकसान नहीं कर पाएंगी।
"नारायणअस्त्र" का फसल पर छिडकाव होते ही, कृष्णा "नारायणअस्त्र फसल की नस-नस में स जाएगा, जैसे ही किड फसल का नुकसान करने का प्रयत्न करेंगे, "नारायणअस्त्र" उनके शरीर में विकार उत्पन्न करेगा, किड भोजन नहीं कर पाएंगे, मतलब फसल का नुकसान नहीं कर पाएंगे, भूखे रहकर मर जाएंगे। रासायनिक दवाएं और "नारायणअस्त्र" में मुख्य फरक यह है की, रासायनिक दवाओं की प्रतिकारशक्ति किड़ में आने से दवाओं का किड पर कोई असर नहीं होता, फसल की नुकसानी जारी रहती है, "नारायणअस्त्र" कितने भी बार इस्तेमाल करो, किड में इसकी प्रतिकार शक्ति नहीं आती, इसलिए कीटकों का
सफाया हो जाता है।
'नारायणअस्त्र" की खास बातें।
1 ) "नारायणअस्त्र" में ना कोई जहर है ना केमिकल 100 प्रतिशत ऑर्गनिक है।
2 ) "नारायणअस्त्र" प्राकृतिक घटकों से बना है।
3 ) जब भी हानिकारक किड फसल को नुकसान पहुंचाने का प्रयत्न करते हैं, किड पत्तों के पीछे हो या आगे, "नारायणअस्त्र" के संपर्क में आ जाते हैं।
(4 ) "नारायणअस्त्र " रस चूसनेवाले किटक तथा सभी प्रकार की इल्लियों के लिए उपयुक्त है। (5) "नारायणअस्त्र " में केमिकल नहीं होने से पर्यावरण को हानीकारक नहीं है।
(6 ) "नारायणअस्त्र में जहरीली दवाएं नहीं होने के कारण, वातावरण में प्रदुषण नहीं फैलता। निम्नलिखित फसलों पर आनेवाली कौन-कौनसी समस्या पर कंपनी की कोनसी दवा काम करेगी इसकी जानकारी विस्तार से दी गई है, पहले फसल का नाम दिया है, उसके बाद "नारायणअस्त्र" कौनसे किटक कंट्रोल करेगा इसकी जानकारी दी गई है, उसके बाद "कृष्णा ऑल क्लियर कौन-कौनसे रोग कंट्रोल करेगा इसकी जानकारी दी गई है, आखरी में ट्रायकोडर्मा ट्रीटमेंट से जमीन से उत्पन्न होनेवाली कौन-कौनसी समस्या पर निजात मिलेगी इसकी जानकारी दी गई है, ट्रायकोडर्मा कंपनी के बताए अनुसार खेत पर तैयार करना है, एक एकड़ का खर्च 40 रूपये आएगा।
1) चना (चना) ग्राम
नारायणास्त्र कंट्रोल - हेलियोथिस पॉड बोरर ट्राइकोडर्मा कंट्रोल डंपिंग ऑफ।
2) टमाटर Tomato
नारायणास्त्र नियंत्रण - थ्रिप्स, माइट्स, एफिड, जस्सिड, व्हाइट फ्लाई, लीफ माइनर, वायरस, हेलियोथिस, स्पोडोप्टेरा, फ्रूट बोरर। कृष्णा ऑल क्लियर कंट्रोल एन्थ्रेक्नोज, अर्ली ब्लाइट, डाउनी मिल्ड्यू, पाउडरी मिल्ड्यू, रस्ट।
ट्राइकोडर्मा नियंत्रण:- मुरझाना, डंपिंग ऑफ।
3) बैंगन (बांगे) (रिंगन) Brinjal -
नारायणअस्त्राउम :- एफिड, जस्सीद, सफेद मक्खी, माइट्स, लिटिल लीफ वायरस, हेलियोथिस, फल छेदक, तना छेदक, गुलाबी सुंडी, चित्तीदार सुंडी।
कृष्णा ऑल क्लियर कंट्रोल Powdery Mildew.
ट्राइकोडर्मा नियंत्रण :- मुरझाना।
4 ) मिर्ची, शिमला मिर्ची Hot Pepper & Sweet Pepper नारायणअस्त्र कंट्रोल :- Thrips, Mites, Jassid, White Fly, Leaf Miner, Little Leaf Virus,
पीली नस मोज़ेक, हेलियोथिस, स्पोडोप्टेरा।
ट्राइकोडर्मा कंट्रोल - डंपिंग ऑफ विल्ट।
5) तम्बाकू Tobbacco
नारायणअस्त्र कंट्रोल :- White Fly. Tobacco Aphid, Green Peach Aphid. Leaf Eating
Caterpiller, Heliothis. 6) कपास (नरमा) Cotton
नारायणअस्त्र कंट्रोल:- Aphid, Jassid, Mites, White Fly, Thrips, Leaf Miner, Spotted Bollworm, Pink Bollworm, American Bollworm, Spodoptera. कृष्णा ऑल क्लियर कंट्रोल:- Anthracnose, Powdery Mildew. ट्रायकोडर्मा कंट्रोल:- Wilt.
7) अरहर दाल (तूर दाल) Red Gram
हथियार नियंत्रण: - स्पोडोप्टेरा, हेलियोथिस, पॉड बोरर।
ट्राइकोडर्मा नियंत्रण :- मुरझाना। 8) सोयाबीन सोयाबीन
नारायणअस्त्र कंट्रोल:- White Fly, Leaf Curly Worm, Hairy Caterpiller, Heliothis.
कृष्णा ऑल क्लियर कंट्रोल Anthracnose, Red Spot.
ट्राइकोडर्मा नियंत्रण :- मुरझाना।
9) अरंडी के बीज
नारायणअस्त्र नियंत्रण:- सफेद मक्खी, जस्सीद, तंबाकू की सुंडी। ट्राइकोडर्मा नियंत्रण सीडलिंग ब्लाइट, अल्टरनेरिया ब्लाइट,
10) आम (अम्बा ) Mango
नारायणअस्त्र कंट्रोल :- Thrips, Mango Hopper, Stem Borer.
कृष्णा ऑल क्लियर कंट्रोल - Anthracnose, Powdery Mildew.
11) मोसम्बी, संतरा, निम्बू Sweet Lemon, Orrange, Lemon
नारायणअस्त्र कंट्रोल:- White Fly, Black Fly, Citrus Psylla, Hairy Caterpiller, Ste
छेदक।
कृष्णा ऑल क्लियर कंट्रोल - एन्थ्रेक्नोज, साइट्रस कैंकर। ट्राइकोडर्मा नियंत्रण :- मुरझाना।
2
12) अमरूद (पेरू) (जाम) Guava
नारायणअस्त्र कंट्रोल - Thrips, Jassid, Hairy Caterpiller. कृष्णा ऑल क्लियर कंट्रोल - Anthracnose.
13 ) चीकू Sapota
नारायणास्त्र नियंत्रण - बड बोरर, चीकू मोठ, लीफ माइनर।
"नारायणअस्त्र" कीटकों पर कैसे काम करता है। 1) "नारायणअस्त्र" में छिडकाव का घोल बनाते समय सर्वोच्च क्वालिटी का टेक्नीकल स्प्रेडर कृष्णा स्प्रे
प्लस प्रति पंप 02 मिली मिलाना जरूरी है, कृष्णा स्प्रे प्लस के कारण छिडकाव का घोल फसल के पत्तों की नस नस में समा जाता है।
(2 ) जैसे की किटक फसल से रस चूसने या उसको काटने या छेद करने का प्रयत्न करते हैं, कृष्णा नारायणअस्त्र के संपर्क में आ जाते हैं। 3) "नारायणअस्त्र" कीटकों के शरीर में जाकर व्याधि उत्पन्न करता है, जिसके कारण किटक फसल की
नुकसानी तुरंत बंद कर देते है। 4 ) किटक फसलों से भोजन लेना बंद कर देते हैं, इसलिए भूखे रहकर मर जाते हैं।
(5) मतलब "नारायणअस्त्र' का छिडकाव होते ही फसल का नुकसान तुरंत बंद हो जाता है।
"नारायणअस्त्र" की मात्रा तथा इस्तेमाल का तरीका। 1 ) 15 लीटर के पंप में सिर्फ 05 मिली "नारायणअस्त्र" तथा 02 मिली स्प्रे प्लस मिलाना है।
2 ) पहले आधा पंप पानी से भर लें, फिर अलग डब्बे में 2 लीटर पानी में "नारायणअस्त्र" 05 मिली तथा
02 मिली कृष्णा स्प्रे प्लस मिला लें, फिर उस घोल को पंप में डालकर, पंप में जितनी जगह हो पानी भर
लें, फिर काडी की मदत से हिलाने के बाद फसलों पर छिड़काव शुरू करें। (3) छिडकाव के समय चाल तेज रखें, पत्तों को बहोत ज्यादा गीला करने की आवश्यकता नहीं है।
"नारायणअस्त्र" के इस्तेमाल से होनेवाला फायदा। 1) रासायनिक कंट्रोल में अलग-अलग कीडों की अलग-अलग दवाएं होने के कारण कई बार 2 या 3
दवाओं का मिश्रण करना पड़ता है, जबकि "नारायणअस्त्र" अकेला इस्तेमाल करना होता है। 2) अधिक दवाओं के इस्तेमाल से खेती का लागत मूल्य बढ जाता है, "नारायणअस्त्र" बहोत कम मात्रा में
तथा अकेला इस्तेमाल होने से खर्च में भारी बचत होती है।
3 ) रासायनिक छिडकाव में छिडकाव के बाद कोई दूसरी किड दिखने पर फिर से छिड़काव करना पड़ता है, "नारायणअस्त्र" का बार-बार छिडकाव नहीं करना पडता, इसलिए समय, श्रम तथा पैसों की बचत होती है। 4) रासायनिक छिडकाव में एक पंप की दवा का खर्च 80 से 100 रूपये तक आता
"नारायणअस्त्र" का एक पंप का खर्च 12 रूपये आता है। है, जबकि (5 ) रासायनिक में सफेद मक्खी या थ्रिप्स जैसे किटक बड़ी मुश्किल से कंट्रोल होते हैं, जब तक कंट्रोल में आते हैं, फसल का बहोत नुकसान कर चुके होते हैं, "नारायणअस्त्र" उपरोक्त कीटकों को आसानी से
कंट्रोल करता है। 6 ) रासायनिक में इल्ली के लिए अलग-अलग दवाएं हैं, कुछ दवाएं तो प्रति लीटर 15000 तक की हैं, "नारायणअस्त्र" सभी प्रकार की इल्लियों को आसानी से कंट्रोल करता है।
7) "नारायणअस्त्र" सिर्फ पत्तों के ऊपर से छिड़काव करना है, रासायनिक दवाएं किसान भाई पत्तों के पीछे मारने का प्रयत्न करते हैं, जिसके कारण दुर्घटना भी होती हैं।
नोट: "नारायणअस्त्र" में प्रति पंप 02 मिली "कृष्णा स्प्रे प्लस" मिलाना जरूरी है। अन्यथा अपेक्षित किटक कंट्रोल नहीं मिलेगा।
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